जय जय केदारा (JAY JAY KEDARA)
ओमकारा..
ओमकारा..
ॐ
कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि।।
ॐ
पद्मासन में ध्यान लगाए मौन है
वीराने में तपता योगी कौन है
पद्मासन में ध्यान लगाए मौन है
वीराने में तपता योगी कौन है
नाद न कोई तारा डमरू कभी कबारा
अधमूंदी आंखों से सब देख रहा संसारा
नाद न कोई तारा डमरू कभी कबारा
अधमूंदी आंखों से सब देख रहा संसारा
जो नाथों के नाथ कहाते
या चकभूति बेल चढ़ाते
जा तक झूम झूम के गाते ओमकारा
जो नाथों के नाथ कहाते
या चकभूति बेल चढ़ाते
जा तक झूम झूम के गाते ओमकारा
अर्धचंद्र माथे पे साजे
वक्षस्थल कपाल विराजे
जटाचक्र से बहती निर्मल शिवधारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
जल थल अगन समीर छाँव और धूप है
जल थल अगन समीर छाँव और धूप है
बियाबान और सन्नाटा ही शिवरूप है
कभी सर्जन हो या कभी विध्वंशक देव हैं
शाम सलोने रुद्र रूप महादेव हैं
कभी परकट हो जाते पर्वत के वेश में
कही भयावह और विक्राली वेग में
अनहत के सुन दाजे बाजे
देव असुर एक पांव पे नाचे
भस्म रमाके बहुरूपी शिव गुणकारा
अनहत के सुन दाजे बाजे
देव असुर एक पांव पे नाचे
भस्म रमाके बहुरूपी शिव गुणकारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
जप तप साधन और समाधि ध्यान में
जप तप साधन और समाधि ध्यान में
सत्यम शिवम शाश्वत ज्ञान बखान में
है आदि काल से अण्डज पिंडज प्राण में
हर अस्तित्व शिवत्व हर एक परमाण में
कभी भुजा अगन सारा सागर जल सोत के
तरल कुंभ विष स्वयं कंठ में रोत के
नीलकंठ तब से कहलाके
श्रृष्टि बारंबार बचाके
कितनी बार किया पृथ्वी का निस्तारा
त्रिलोकी शिव लीलाधारी
वीर वीर गंभीर तिहारी
जय जय हो भोले भंडारी जयकारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू
जय जय केदारा
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