बदलाव की सोच : An Idea of Change
एक बार प्रसिद्द ब्राज़ीलियन लेखक पाउलो कोएलो (Paulo Coelho) एक रेलवे स्टेशन पर खड़े हुए अपने पब्लिशर के आने का इंतज़ार कर रहे थे। तभी उनकी नज़र रेल की पटरियों पर पड़ी , जहाँ कुछ मजदूर लोग मरम्मत का काम कर रहे थे। तभी उनके मष्तिष्क में एक विचार आया। उन्होंने पास खड़े मजदूर में से एक पूछा की ,”इन पटरियों के बीच कितनी दूरी होगी?” मजदूर ने जवाब दिया १४३.५ सेंटी मीटर।
पाउलो को यह दूरी कुछ अजीब सी लगी की न तो यह १४५ से.मी. है न १४४ से. मी. और न ही १५० से.मी. तो आखिर १४३.५ से.मी. ही क्यों? उन्होंने मजदूर से फिर पूछा कि यह दूरी इतनी ही क्यों? इस पर मजदूर ने कहा , क्यूंकि रेल के पहियों के बीच की दूरी इतनी ही होती है। इस पर पाउलो बोले ,” क्या तुम्हे नहीं लगता की इस दूरी की वजह से रेल के पहियों के बीच की दूरी इतनी है?” इस बात पर स्टेशन वर्कर मुस्कुराया और बोला ,”चीजें ऐसी इसीलिए हैं , क्यूंकि वे ऐसी ही हैं। ”
परन्तु यह जवाब पाउलो की जिज्ञासा को ख़तम नहीं कर सका। एक टाइम पास सवाल उनकी जिज्ञासा बन चुका था। उन्होंने खूब सारी पुस्तकें पढ़ डालीं हज़ारो पन्ने भी पलटे। अंततः उनको जवाब कुछ ऐसा मिला-जब पहली ट्रैन बनी तो उन्ही टूल्स (औज़ारों ) से बानी, जिनसे उस समय में दूसरी गाड़ियां या बग्गियां आदि बनाई जाती थीं और उन गाड़ियों के पहियों के बीच की दूरी १४३.५ से.मी. होती थी।
वह दूरी इसीलिए रखी गयी थी , क्यूंकि पुरानी सड़कें इसी पैमाने के हिसाब से बनती थीं और यह माप दिया था सड़कें बनाने वाले रोमन लोगो ने। इस माप की वजह थी – युद्ध में प्रयोग होने वाली घोडागाड़ियाँ। दरअसल , अगल – बगल में दौड़ने वाले घोड़े एक दूसरे एक बीच इतनी ही दूरी लेते थे। संभवतः इस दूरी को बहुत पहले किसी रोमन एक्सपर्ट ने नापा हो और उसके सौभाग्य से यह माप मानक माप बन गयी, जिसका आज पूरी दुनिया पालन करती है।
इस दूरी ने शायद कोई बाधा न उत्पन्न की हो , इसीलिए हर कोई इसे अपनाता गया और शायद इसीलिए कभी भी इसे बदलने की कोशिश भी नहीं की गयी , और यदि कभी किसी ने इसे बदलने की कोशिश की भी होगी तो इस पंक्ति ने उसे हरा दिया होगा – यह दूरी इतनी ही होती है और ये ही सही है।
शिक्षा : यद्यपि सभी के जीवन के पथ तय होते हैं परन्तु देश, काल और परिस्थतियों के अनुसार जीवन की बहुत सारी बातें/चीजें बदलाव चाहती हैं , लेकिन हमारी ये सोच कि आज तक ऐसा ही होता आया है बहुत सारी परेशानियां खड़ी कर देती हैं या फिर हमें एक ही तरीके की जीवन जीने पर मजबूर कर देती है।
किसी भी अच्छे बदलाव के लिए चाहिए हिम्मत – अच्छा सोचने की और उस सोच पर अमल करने की।
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