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एक बार एक साधु महाराज एक बहुत बड़े राजा की राजधानी से हो कर गुजर रहे थे। जब वह घूम रहे थे तो उन्हें सड़क पर एक सिक्का पड़ा नज़र आया उन्होंने उसे उठा लिया। क्यूंकि साधु महाराज अपनी सादा जीवन उच्च विचार की नीति में भरोसा रखते थे तो वह सोचने लगे कि इस सिक्के का क्या किया जाये? उन्होंने उसको दान करने के लिए सोच लिया। अब वह घूमते रहे लेकिन उन्हें कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिसे वे ये सिक्का दे सकते। फिर वह थक हार के एक जगह रात्रि व्यतीत करने के लिए रुक गए।
अगले दिन सुबह उठ कर साधु महाराज अपनी दिनचर्या के काम करने लगे तभी उन्होंने देखा की उस देश के राजा अपनी बड़ी सी सेना ले कर किसी और देश पर आक्रमण करने जा रहे हैं। जब राजा ने देखा वहां एक साधु खड़े हैं तो राजा ने अपनी सेना को रुकने का आदेश दिया। राजा साधु के पास आया और बोला “हे साधु महाराज मैं दूसरे देश को जीतने जा रहा हूँ जिस से मेरे राज्य की सीमाएं बढ़ सकें। मैं विजयी होकर लौटूं दया कर ऐसा आशीर्वाद दीजिये।
बहुत सोचने के बाद साधु महाराज ने वो सिक्का राजा को दे दिया। राजा अचंभित हो गया और उसे क्रोध भी आ गया क्यूंकि वह पहले ही बहुत धनवान तो वो उस एक सिक्के का क्या करता ? तब राजा ने बहुत उत्सुकता से साधु से पूछा कि महाराज मुझे ये सिक्का देने का क्या प्रयोजन??
तब साधु बोले ,”हे राजन ! जब कल मैं तुम्हारी इस नगरी में घूम रहा था तब मुझे ये सिक्का पड़ा मिला था लेकिन ये तो मेरे किसी काम का नहीं क्यूंकि मैं तो एक सन्यासी हूँ , तो मैंने इसे किसी जरूरतमंद को देने के लिए मन बना लिया। लेकिन मैं शाम तक नगर में घूमता रहा लेकिन मुझे कोई ऐसा मिला नहीं जिसे मैं दे सकता क्यूंकि मैंने पाया सब लोग जिसको जितना मिला है उसमे ही खुश हैं। लेकिन आज इस देश के राजा को अभी भी और बहुत कुछ पाने की इच्छा है जो उनके पास है वो उस से संतुष्ट ही नहीं , तो मुझे महसूस हुआ कि आपको इस सिक्के की बहुत जरुरत है। ”
साधु की इन बातों से राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने दूसरे देश पर आक्रमण करने का विचार त्याग दिया।
शिक्षा : जितना हमारे पास है हमें उसमे ही खुश रहना चाहिए। यद्यपि ज्यादा की चाहत तो सबको होती है , लेकिन जो हमारे पास है उस से ही संतुष्ट रहना चाहिए , क्यूंकि इस दुनिया में ऐसे बहुत लोग हैं जिन्हे उतना भी नहीं मिला जितना हमें मिला है और कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हे हमसे ज्यादा मिला है तो किसी से भी स्वयं की ख़ुशी की तुलना मत करो, और खुश रहो और स्वस्थ रहो।
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